बड़े कमाल की है लकड़ी की यह घड़ी: आमतौर पर घरों में लोग अंग्रेजी तरीके से समय देखने के लिए दीवारों पर घड़ी लगाते हैं. जिससे समय का पता चल सके. लेकिन, बीकानेर में एक अनोखी घड़ी है, जो व्यक्ति के वास्तविक जीवन के बारे में बता देती है. यह घड़ी एक तरह से ज्योतिष का काम करती है. यह घड़ी व्यक्ति की राशि और नक्षत्र के बारे में बताती है. एक तरह पूरी कुंडली बना देती है.पहले लोग इस घड़ी को देखकर ही कुंडली बना देते थे. हालांकि अब यह घड़ी चलती नहीं है, फिर बीकानेर के गोपाल इसको संभाले हुए हैं. वे बताते है कि यह घड़ी दोबारा चल सकती है. लेकिन, इस घड़ी की सुइयां नहीं मिल रही है, अगर मिल जाए तो यह घड़ी चल सकती है.
250 से 300 साल पुरानी है लकड़ी की यह घड़ी
गोपाल व्यास ने बताया कि यह घड़ी 250 से 300 साल पुरानी है और लकड़ी की बनी हुई है. अगर कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उसकी जन्म कुंडली बनाने के लिए यह घड़ी काम आती है. जब बच्चा जन्म लेता है, तो समय के अनुसार लग्न निकलता है और कुंडली बनती है. यह लग्न सूर्य के द्वारा मापा जाता है. जिस समय सूर्य अपनी स्वराशि में होता है, तो उसी राशि के अनुसार लग्न चलता है. अभी सूर्य कन्या राशि में है, तो उसके अनुसार लग्न निकाला जाएगा. एक लग्न करीब डेढ़ घंटे तक चलता है. इस घड़ी में सूर्य, सभी राशि और सभी नक्षत्र है, तो उस समय को देखते हुए बच्चे की कुंडली बनाई जाती है. जिस तरह सूर्य घूमता है,उसी प्रकार लग्न भी घूमता है.
घड़ी में है राशि से लेकर नक्षत्र तक की आकृति
व्यास ने बताया कि इस घड़ी की बीच में भगवान सूर्य हैं, जो रथ पर सवार है. इसके बाद इस घड़ी पर गोल घेरे के चारों तरफ राशियों की आकृति बनाई गई है. इनमें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन राशि दिखाई गई है. इसके अलावा इस घड़ी में समय के लिए एक से 12 तक संख्या भी दर्शाई गई है. इन राशियों के बाद गोल घेरे में 28 नक्षत्र भी आकृति सहित दर्शाए गए है. इनमें अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी ब्रह्मा, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, माघ, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, अभिजीत, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवते है. इन नक्षत्र में अभिजीत नक्षत्र होता है, वो रोजाना आता है. यह नक्षत्र एक दिन में एक नक्षत्र आता है.