किराये के 2 कमरों वाली अनोखी जेल: जेल कहीं की भी हो सबसे अप्रिय जगह मानी जाती है. अपराधियों को खुले में भी नहीं छोड़ा जा सकता है, इसलिए जेल एक जरूरत भी है. दुनिया के साथ जेलों का इतिहास भी गुथा है. कई जेलें काफी पुरानी हैं. यूपी के अलीगढ़ जेल का इतिहास तो करीब 220 साल पहले का है. यहां सर्वप्रथम 1804 में कोल तहसील में किराये के दो कमरे लेकर जेल बनाई गई थी. उस समय जिले में करीब 40 अपराधी थे, जिन्हें यहां रखा जाना था. 2 कमरों की जगह 40 अपराधियों के लिए नाकाफी थी. हालांकि अंग्रेजों ने सैनिकों को पहरे पर लगाया था, लेकिन इन अपराधियों में कई आंखों में धूल झोंकर भागने में सफल रहे थे. लिहाजा अंग्रेजों ने एक जेल बनवाने का फैसला किया.
रोचक है क्रम
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहासकार कहते हैं कि अलीगढ़ जिले की पहली आपराधिक जेल का निर्माण 1810 में पूरा हुआ. इसकी लागत 34,000 रुपये आई थी. सिविल जेल और जेल अस्पताल 1816 में निर्मित किए गए. 1817 में जेल से फौजी पहरेदारी हटा दी गई. इनकी जगह पर आगरा प्रांतीय बटालियन के जवान पहरे पर लगाए गए. ये व्यवस्था 1831 तक चलती रही. इसके बाद विशेष जेल सुरक्षा गारद की स्थापना की गई, जिसने आगरा प्रांतीय बटालियन की जगह ली.
इतिहासकार के अनुसार, आज की जेलों में दिनोंदिन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है. मौजूदा समय में 1200 कैदियों की क्षमता वाली अलीगढ़ जेल में 2500 से ज्यादा कैदी हैं. जबकि अंग्रेजी शासन में कैदियों की संख्या कम होती गई. 1845-1849 के दौरान अलीगढ़ की जिला जेल में कैदियों की औसत संख्या 648 थी. इसके 50 साल बाद 1895-1899 के दौरान कैदियों की औसत संख्या घटकर 420 रह गई. उस समय भी कैदियों को हुनरमंद बनाने का काम किया जाता था. जेल में रहने के दौरान उन्हें रस्सी की बटाई, कालीन बुनाई और ईंट पथाई का काम सिखाया जाता था. वरिष्ठ जेल अधीक्षक कहते हैं कि दस्तावेज के अनुसार अलीगढ़ कारागार 1810-11 में स्थापित किया गया.