उत्तराखंड पंचायत चुनाव, सियासी तापमान चरम पर, हर गांव बना रणभूमि : प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पंचायती राज एक्ट में यह व्यवस्था है कि किसी वजह से पांच साल के भीतर चुनाव नहीं कराए जा सके तो सरकार छह महीने के लिए इनमें प्रशासक नियुक्त कर सकती है। चुनाव को लेकर अब सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने -सामने आ गए हैं। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। सत्ता पक्ष का कहना है कि सरकार चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
राज्य निर्वाचन आयोग इसके लिए जो भी तिथि तय करेगा, उसके अनुरूप चुनाव कराए जाएंगे। जबकि विपक्ष का कहना है कि राज्य में पंचायती राज की भावना और संविधान संशोधन-74 की आत्मा के साथ खिलवाड़ हो रहा है। राज्य में चुनाव को फिर से टालने की तैयारी है।
नारद पोस्ट के सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि चार जून को धामी मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पंचायत चुनाव की असल स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. जिसके बाद हो सकता है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है.उत्तराखंड शासन ने इसे लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में शपथ पत्र भी दाखिल किया था. जिसमें उत्तराखंड शासन ने 15 जुलाई तक हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव कराने की बात कही. उत्तराखंड शासन ने कहा प्रदेश में पंचायच चुनाव की तैयारियां भी जोरों से चल रही हैं. इस पर सीएम धामी का बयान भी आ चुका है. वे भी पंचायत चुनाव के लिए पूरी तैयारी की बात कर रहे हैं.