देहरादून, 28 सितंबर: नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित विश्व पर्यटन दिवस समारोह में उत्तराखण्ड के चार गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
1. जखोल गांव: साहसिक पर्यटन के लिए चुना गया, जो अपनी ऊंचाई, खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों और चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग रूट्स के लिए जाना जाता है। साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के बीच जखोल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
2. हर्षिल गांव : उत्तरकाशी जिले में स्थित यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढके पहाड़ों और सेब के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। इसे वाइब्रेंट विलेज के रूप में सम्मानित किया गया है।
3. गुंजी गांव: पिथौरागढ़ जिले में स्थित यह गांव, जो चीन और नेपाल सीमा के निकट है, अपनी सामरिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण विशेष स्थान रखता है। इसे भी वाइब्रेंट विलेज के तौर पर सम्मानित किया गया है।
4. सूपी गांव: बागेश्वर जिले का यह गांव कृषि पर्यटन के लिए पुरस्कृत किया गया है। सूपी अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के तहत यहां पर्यटकों को ग्रामीण जीवन और खेती से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित इस प्रतियोगिता का उद्देश्य संस्कृति एवं प्राकृतिक संपदा के संरक्षण, समुदाय आधारित मूल्य और जीवन शैली को बढ़ावा देना है। इस वर्ष, उत्तराखण्ड के चार गांवों को उनके विशेष योगदान और स्थिरता के लिए चयनित किया गया है। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे, अपर निदेशक पर्यटन पूनम चंद, और चयनित ग्रामों के प्रधान एवं प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। हर्षिल के ग्राम प्रधान दिनेश सिंह, सूपी की ग्राम प्रधान प्रेमा देवी, जखोल के ग्राम प्रधान विनोद कुमार और गुंजी के ग्राम प्रतिनिधि कृष गुंज्याल ने इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इन चार गांवों को प्राप्त यह पुरस्कार न केवल उनके पर्यटन क्षेत्र में योगदान को मान्यता देता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करने का काम करता है। इससे यह साबित होता है कि उत्तराखण्ड की पर्यटन संभावनाएं असीमित हैं, और ये गांव देशभर के पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं।