नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा बढ़ती है तपस्या की शक्ति: नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा का अत्यधिक महत्व है। यह दिन विशेष रूप से तपस्या और आंतरिक शक्ति को बढ़ाने का होता है। माँ चंद्रघंटा का रूप शांतिपूर्ण और शक्तिशाली है, और उनकी उपासना से साधक को मानसिक शांति, वीरता, निर्भयता और दिव्य कृपा प्राप्त होती है। इस दिन की पूजा से साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रवेश करता है, जो कि शक्ति और आत्मविश्वास का केंद्र है।माँ चंद्रघंटा के मस्तक में अर्धचंद्र आकार का घंटा होता है, जिससे उनका नाम “चंद्रघंटा” पड़ा। उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकीला होता है और उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र होते हैं, जिनमें खड्ग, बाण आदि शामिल हैं। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस को दर्शाता है। माँ का यह रूप विशेष रूप से युद्ध के लिए तैयार रहने वाला होता है, लेकिन उनकी कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।माँ चंद्रघंटा की पूजा से साधक में वीरता, पराक्रम, और निर्भयता का विकास होता है, साथ ही उनकी कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है। माँ के घंटे की ध्वनि साधक को प्रेतबाधा से बचाती है और उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।इस दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से तपस्या की शक्ति बढ़ती है और साधक अपने जीवन के उद्देश्यों को आसानी से प्राप्त कर पाता है। उनके ध्यान और पूजा से मानसिक विकार दूर होते हैं और आत्मा में दिव्यता का संचार होता है। इस दिन माँ के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति से व्यक्ति अपने जीवन को सही दिशा में मोड़ सकता है।