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Home » परिक्रमा: भगवान को प्रसन्न करने की दिव्य कुंजी, जानें इसका धार्मिक रहस्य
dharmik

परिक्रमा: भगवान को प्रसन्न करने की दिव्य कुंजी, जानें इसका धार्मिक रहस्य

In our country, whether it is a temple or an idol of gods and goddesses, circumambulation is definitely done.
Sponsored By: KABIR SINGHJune 14, 2025No Comments2 Mins Read
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परिक्रमा
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परिक्रमा, भगवान को प्रसन्न करने की दिव्य कुंजी, जानें इसका धार्मिक रहस्य : हमारे देश में मंदिर हो या देवी देवताओं की मूर्ति परिक्रमा ज़रूर लगाई जाती है। ऐसे ही वृंदावन में हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान कृष्ण की लीला स्थल और मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. इसके साथ ही कई श्रद्धालु वृंदावन की परिक्रमा भी लगाते हैं, जिसका ब्रज में बेहद महत्व माना जाता है. लेकिन, कई लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है कि वृंदावन की परिक्रमा कब और कैसे लगानी चाहिए।

वैसे तो हर कोई जब भी मंदिर जाता है, तो दर्शन करने के बाद यहां परिक्रमा जरुर लगाता है. लेकिन वृंदावन में सिर्फ मंदिरों की ही नहीं, बल्कि पूरे वृंदावन क्षेत्र की परिक्रमा लगाने का महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने वृंदावन की पावन धरती पर अपनी लीलाएं की और उनके चरणों का राज आज भी वृंदावन में मौजूद है. इस बारे में जानकारी देते हुए मथुरा के पंडित विकास शर्मा ने बताया कि वृंदावन की परिक्रमा लगाने से आप वृंदावन क्षेत्र में मौजूद हर मंदिर, वृक्ष और ब्रजवासियों को प्रणाम कर उनकी भी परिक्रमा लगाते हैं. क्योंकि कृष्ण की लीला में इन सभी का बेहद महत्व माना जाता है।

सभी तीर्थों की परिक्रमा का प्राप्त होता है फल

पंडित बताते हैं कि परिक्रमा लगाते समय कई छोटी चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वैसे तो वृंदावन की परिक्रमा 5 कोस यानी करीब 15 किलोमीटर की मानी जाती है. वृंदावन की परिक्रमा को परिक्रमा परिधि से कही भी शुरू किया जा सकता है. जहां से भी इस परिक्रमा को शुरू किया जाता है. सबसे पहले उसी स्थान को प्रणाम कर ब्रज राज माथे पर लगा कर परिक्रमा शुरू की जाती है. उसी स्थान पर आकर समाप्त भी करनी होती है।

इसके साथ ही परिक्रमा को बिना जूते-चप्पल और बिना किसी वाहन की सहायता से ही लगाना चाहिए. वैसे तो वृंदावन की परिक्रमा लगाने कोई दिन या समय निर्धारित नहीं है. लेकिन, एकादशी के समय परिक्रमा लगाने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं. क्योंकि, एकादशी को भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन भी माना जाता है. इसके साथ पूरे परिक्रमा में बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए. परिक्रमा के दौरान अधिक भूख लगने पर सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए. हालांकि, परिक्रमा खत्म होने के बाद आप किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

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