भारत-पाक तनाव के बाद अब OTT से हटाए जा रहे टर्किश ड्रामा: भारत में विदेशी कंटेंट, खासकर पाकिस्तानी और टर्किश नाटकों की एक बड़ी दर्शक संख्या है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ‘एर्टुगरुल’, ‘फेरिहा’, ‘मासूम’ जैसे टर्किश शोज़ ने दर्शकों का खासा ध्यान खींचा है और ये कंटेंट भारत के टियर-1 और टियर-2 शहरों में काफी लोकप्रिय भी रहा है। लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते एक नई बहस ने जन्म ले लिया है—जिसमें अब टर्किश ड्रामा को भी निशाने पर लिया जा रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान के समर्थन में तुर्की की सार्वजनिक स्थिति और भारत के खिलाफ उसके बयानात के बाद अब टर्किश शो हटाने की मांग तेज़ हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ZEE5 जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म ने अपने कुछ तुर्की ड्रामा सीरीज को पहले ही प्लेटफॉर्म से हटा दिया है। इनमें “रिलेशनशिप स्टेटस: इट्स कॉम्प्लिकेटेड” जैसे शोज़ शामिल हैं। यह कदम बिना किसी सरकारी निर्देश के, संभावित प्रतिक्रियाओं और संवेदनशील माहौल को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
व्यावसायिक फैसला या राजनीतिक दबाव?
ZEE5 की टीम का कहना है कि यह पूरी तरह से एक व्यावसायिक निर्णय था। मिड डे की रिपोर्ट के अनुसार प्लेटफॉर्म ने बीते कई हफ्तों से यूजर्स की भावनाओं और सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं पर नज़र रखी। हालांकि टर्किश नाटकों की व्यूअरशिप अच्छी थी, लेकिन बढ़ते राजनीतिक तनाव और संभावित प्रतिष्ठा नुकसान को देखते हुए शोज़ को हटाना बेहतर समझा गया।
ZEE5 के एक अधिकारी ने बताया कि—”हम सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिलने के बावजूद, दर्शकों की संवेदनाओं को लेकर सतर्क हैं। इस समय हमारी प्राथमिकता ब्रांड की प्रतिष्ठा और दर्शकों का भरोसा बनाए रखना है।”
तुर्की और पाकिस्तान के रिश्ते
तुर्की ने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान के साथ कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुलकर समर्थन दिखाया है, खासकर कश्मीर मुद्दे पर। भारत के खिलाफ बयानबाज़ी और पाकिस्तान को खुला समर्थन भारतीय जनता के एक बड़े वर्ग को खलता रहा है। यही कारण है कि अब टर्किश शो भी आलोचना के दायरे में आ गए हैं।
दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
जहां एक ओर कुछ दर्शक इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं और राष्ट्रीय भावनाओं की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ यूजर्स इसे कलात्मक स्वतंत्रता और मनोरंजन की सेंसरशिप मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग बहस कर रहे हैं कि क्या एक देश की राजनीति के कारण उस देश के कला-संस्कृति को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना उचित है?
आगे क्या?
अब सभी की निगाहें अन्य प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और डिज़्नी+ हॉटस्टार की ओर हैं कि क्या वे भी इसी दिशा में कोई कदम उठाते हैं या नहीं। भारत में विदेशी कंटेंट के भविष्य को लेकर यह एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीति और एंटरटेनमेंट के बीच किस हद तक दीवार खड़ी होनी चाहिए और दर्शकों की पसंद पर किस सीमा तक प्रभाव डाला जाना चाहिए।