DRDO की बड़ी उपलब्धि: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय सेना के लिए एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। DRDO के वैज्ञानिकों ने एक उन्नत ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित किया है जो भविष्य में सेना के उच्च जोखिम वाले अभियानों में सैनिकों की सहायता करेगा। यह रोबोट दुर्गम और खतरनाक इलाकों में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में सक्षम होगा।
इस परियोजना पर काम DRDO की प्रमुख प्रयोगशाला रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (इंजीनियर्स), पुणे में किया जा रहा है। पिछले चार वर्षों से DRDO के सेंटर फॉर सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज फॉर एडवांस्ड रोबोटिक्स की टीम इस रोबोट पर शोध और विकास कार्य में लगी हुई है। समूह निदेशक एस.ई. तालोले के अनुसार, रोबोट के विभिन्न हिस्सों के लिए अलग-अलग प्रोटोटाइप तैयार किए गए हैं और इन पर कई सफल परीक्षण भी किए जा चुके हैं।
यह ह्यूमनॉइड रोबोट विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है जहां सैनिकों के लिए कार्य करना अत्यंत खतरनाक होता है। जैसे घने जंगल, ऊँचे पर्वतीय इलाके, या दुर्गम स्थान जहां परंपरागत संसाधनों से पहुँचना कठिन होता है। इसका प्रमुख उद्देश्य ऐसे खतरनाक कार्यों को अंजाम देना है जहां मानव सैनिकों की जान को खतरा हो सकता है। इस प्रकार यह रोबोट सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
हाल ही में इस रोबोट का प्रदर्शन नेशनल वर्कशॉप ऑन एडवांस्ड लेग्ड रोबोटिक्स, पुणे में किया गया, जहां देशभर से आए वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों ने इसकी सराहना की। यह रोबोट फिलहाल अपने उन्नत विकास चरण में है और इसे मानव आदेशों को समझने और उस पर तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए और बेहतर बनाया जा रहा है।
DRDO का यह प्रयास भारत की रक्षा तकनीक में एक नई क्रांति लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस ह्यूमनॉइड रोबोट के माध्यम से सेना की तकनीकी और रणनीतिक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके साथ ही, यह मिशनों के दौरान सैनिकों की जान की रक्षा सुनिश्चित कर देश की सैन्य शक्ति को और मजबूत बनाएगा।