तीर्थस्थल में अनुशासनहीनता: केदारनाथ धाम, जो कि हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है, आजकल कुछ अनुचित और शर्मनाक घटनाओं के कारण सुर्खियों में है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें दो श्रद्धालु अश्लील हरकतें करते हुए देखे जा सकते हैं। यह वीडियो धाम परिसर में ही रिकॉर्ड किया गया है, जिससे न केवल वहां की पवित्रता को ठेस पहुँची है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत हुई हैं।
जानकारी के अनुसार, ये दोनों युवक कथित रूप से नशे में धुत थे और पवित्र स्थान पर बेहद अनुचित व्यवहार कर रहे थे। बताया जा रहा है कि ये यात्री पश्चिम बंगाल से आए थे। स्थानीय व्यापारियों और तीर्थयात्रियों ने जब इस हरकत को देखा तो उन्होंने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया, जिसके बाद यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि ये लोग केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थल को एक ‘पिकनिक स्पॉट’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जब कुछ पर्यटकों ने केदारनाथ मंदिर परिसर में लाउडस्पीकर पर डांस किया था। ऐसे मामलों की लगातार बढ़ती संख्या ने इस पवित्र धाम की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था कहां है? केदारनाथ जैसे अत्यधिक संवेदनशील और धार्मिक स्थान पर तैनात सुरक्षाकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी आखिर ऐसे मामलों पर क्या कर रहे हैं? क्या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह ऐसे अनुशासनहीन और आपत्तिजनक कृत्यों को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करे?
स्थानीय लोगों और व्यापारियों का कहना है कि सरकार और प्रशासन को अब इस विषय पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। तीर्थ स्थलों की गरिमा बनाए रखने के लिए न केवल प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए, बल्कि श्रद्धालुओं को भी यह समझने की ज़रूरत है कि यह कोई पर्यटन स्थल या मौज-मस्ती की जगह नहीं, बल्कि एक आस्था और श्रद्धा का केंद्र है।
यह जरूरी है कि प्रशासन ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए। इसके अलावा, केदारनाथ धाम में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं की नियमित निगरानी, पहचान पत्रों की जांच, और सुरक्षा उपायों को और भी सख्त किया जाए।
अगर ऐसे मामलों को समय रहते नहीं रोका गया, तो इससे न केवल धार्मिक स्थलों की पवित्रता पर असर पड़ेगा, बल्कि देश और समाज में एक गलत संदेश भी जाएगा।
सरकार और उत्तराखंड पर्यटन विभाग को चाहिए कि तीर्थ स्थलों की गरिमा बनाए रखने के लिए सामाजिक चेतना अभियान चलाए और ऐसी हरकतों को हतोत्साहित करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। धर्म स्थलों की पवित्रता को बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।