पानी का बदलता स्वाद : हम सभी पानी पीते हैं, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि दुनिया के अलग–अलग हिस्सों में पानी का स्वाद अलग–अलग क्यों होता है? एक ही ग्रह पर रहते हुए हम अलग–अलग तरह का पानी क्यों पीते हैं? चलिए जानते हैं कि पानी का स्वाद अलग–अलग होने के पीछे क्या कारण हैं. शुद्ध पानी का कोई स्वाद नहीं होता है, लेकिन जब पानी जमीन के अंदर से होकर गुजरता है तो वह कई तरह के खनिजों के संपर्क में आता है. ये खनिज पानी में घुलकर इसके स्वाद को बदल देते हैं।
पानी में घुले हुए खनिज जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम और पोटेशियम पानी को कठोर या नरम बनाते हैं. इन खनिजों की मात्रा और प्रकार पानी के स्वाद को प्रभावित करते हैं. इसके अलावा जिस क्षेत्र से पानी निकाला जाता है, उसकी भूगर्भीय संरचना भी पानी के स्वाद को प्रभावित करती है।
उदाहरण के लिए, चूना पत्थर वाले क्षेत्रों का पानी कैल्शियम युक्त होता है, जिससे पानी कठोर हो जाता है. साथ ही जल चक्र के दौरान पानी वाष्पित होता है, बादलों में बदलता है और फिर बारिश या बर्फ के रूप में जमीन पर गिरता है. इस दौरान पानी कई तरह के पदार्थों के संपर्क में आता है, जो इसके स्वाद को प्रभावित करते हैं. साथ ही पानी जमीन के अंदर से होकर गुजरते हुए पौधों और जीवों के संपर्क में आता है. इनसे निकलने वाले रसायन पानी के स्वाद को बदल सकते हैं।
इसके अलावा औद्योगिक और कृषि गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषक भी पानी के स्वाद को प्रभावित करते हैं. गर्म पानी में खनिज ज्यादा आसानी से घुल जाते हैं, जिससे पानी का स्वाद बदल सकता है. इसके अलावा पानी का pH स्तर भी इसके स्वाद को प्रभावित करता है. अम्लीय पानी खट्टा होता है जबकि क्षारीय पानी कड़वा होता है और पानी में घुली हुई गैसें जैसे ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि भी पानी के स्वाद को प्रभावित करते हैं।