इंसान ही ऐसा जानवर है जो हंस सकता है. लेकिन क्या हंसी भी कई प्रकार की होती है. तो इस प्रश्न का उत्तर हां में ही है. हंसी का कई तरह से वर्गीकरण किया जाता है. अभिव्यक्ति के आधार पर दबी सी हंसी, खीस हंसी, खिलखिलाकर हंसना, मुंह दबाकर हंसना, ठहाके मार कर हंसना, हंसी के प्रकार हो सकते हैं. लेकिन इसके अलावा एक वर्गीकरण और भी है जिसमें हंसी के कारण, स्थान परिस्थिति आदि कारकों को भी शामिल किया गया है. आइए हंसी के इन प्रकारों को नाम शिष्टाचार, मानवीय हावभाव, हंसी के असर आदि अलग अलग आधार पर दिए गए हैं. आइए जानते हैं कि हंसी के कितने प्रकार होते है।
शिष्टाचार की हंसी
सबसे औपचारिक हंसी होती है. इस हंसी में सबसे ज्यादा नियंत्रण होता है. यह हंसी औपचारिक मौकों पर देखने को मिलती है. जैसे ऑफिस में या बाहर बॉस के सामने, या फिर अति सम्मानित व्यक्ति के सामने जिससे हमें बहुत शिष्टता से पेश आने की जरूरत है. इसके अलावा एक बेचैनी हंसी या नर्वस हंसी भी नियंत्रित हंसी कही जा सकती है. यह अपने सम्मान को बचाने, खुद को तनाव में ना दिखाने के लिए या फिर शर्मिंदगी को बचाने की कोशिश में देखने को मिलती है. इसे नकली हंसी भी माना जाता है.
कई बार देखने में आता है कि जब दोस्तों के बीच हंसी के माहौल में जब भी कोई एक व्यक्ति हंसता है तो उसके साथ दूसरा व्यक्ति भी हंसने लगता है. इस हंसी को संक्रमण की हंसी कहा जाता है. यह संक्रामक रोग की तरह फैलने वाली हंसी होती है. हंसी का माहौल इसी तरह की हंसी के लिए कहा जाता है. यह हंसी उबासी की ही तरह फैलती है.
पेट पकड़कर हंसना
सबसे ईमानदार हंसी कहलाती है. इसमें खास बात यह होती है कि आप जोर से यानि खुल कर हंसते हैं और देर तक हंसते हैं. यहां तक की हंसते हंसते पेट मे दर्द होने लगता है इसलिए आप अपना पेट पकड़ लेते हैं. इसी लिए इसे पेट पकड़कर हंसना या बेली लाफ्टर नाम दिया है. एक ईमानदारी वाली हंसी और होती है जो खिलखिला कर हंसने वाली श्रेणी में आती है. इसे कैन्ड लाफ्टर कहते हैं. ऐसी हंसी हमें कॉमेडी शो के साउंड ट्रैक में सुनाई देती है जो उसकी विशेष पहचान होती है. वैसे तो हंसी अपने आप में तनाव से मुक्ति देने वाली होती है. लेकिन अचानक खिलखिला कर फूटने वाली हंसी को तनाव से मुक्ति देने वाली हंसी कहते हैं.
शांत हंसी
जैसा की नाम से ही जाहिर है कि इस हंसी में आवाज नहीं होती है. इस तरह की हंसी को कला के तौर पर भी लिया जाता है. फिल्मी या टीवी कलाकारों में इस तरह की हंसी ज्यादा देखने को मिलती है. इसमें खुलकर हंसा जाता है, लेकिन जोर से हंसने की आवाज नहीं निकलती है. वहीं अगर मुंह बंद कर हंसा जाए तो कबूतर वाली हंसी हो जाएगी. इसमें ऐसा लगता है कि कबूतर या फिर मधुमक्खी के भिनभिनाने की आवाज आती लगती है. दोनों तरह की हंसी लाफ्टर थेरेपी में उपयोग किया जाता है.
हंसी के साथ एक अनोखा भाव भी जुड़ा है वह है हंसी उड़ाना. कई बार कोई व्यक्ति शर्मिंदगी भरे लम्हों से गुजरता है तो उसके आसपास के लोग हंस पड़ते हैं. शिष्टाचारवश ऐसे मौकों पर हंसने ठीक नहीं माना जाता है. कई बार लोग दूसरों का मजाक बनाते हुए भी हंसने के मौके बनाते हैं. इस तरह के हालात के बाद जो हंसी निकलती है उसे क्रूर हंसी कहा जाता है.