सनातन धर्म में भाई दूज के त्यौहार का खास महत्व है। भाई दूज का पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस पर्व को सनातन धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। हम आपको बताएँगे कि भाई दूज का पर्व क्यों मनाया जाता है, इसकी क्या महत्ता है और इस वर्ष भाई दूज का पर्व कब मनाया जाएगा?
पौराणिक मान्यताएँ-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। इस दौरान उनकी बहन सुभद्रा ने तिलक किया और उन्हें माला अर्पित कर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने अपने भाई की दीर्घ आयु कि कामना भी की। हिन्दू धर्म ग्रंथों में भाई दूज की इस कथा का उल्लेख देखने को मिलता है। एक और कथा के अनुसार अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम देवता अपनी बहन यमुना से मिले थे। उस समय यमुना ने यम देवता को भोजन कराया और उनका आदर-सत्कार किया। इससे यम देव प्रसन्न हुए। इस दौरान उन्होंने अपनी बहन को वचन दिया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर जो व्यक्ति अपनी बहन से मिलने उनके घर जाएगा। उसकी हर मनोकामना पूरी होगी, साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी। इसी दिन से भाई दूज मनाने की शुरुआत हुई।
किस दिन मनाया जाएगा पर्व-
पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाई दूज का त्योहार रविवार के दिन 3 नवंबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 02 नवंबर की रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगी और अगले दिन 03 नवंबर को समाप्त होगी।
Bhai Dooj 2024 शुभ मुहूर्त का समय-
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 43 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजे तक
भूल कर भी न करें यह गलती-
भाई दूज वाले दिन तिलक करने से पहले बहन को अन्न-जल का सेवन नहीं करना चाहिए। तिलक करने तक बहन को व्रत करना चाहिए। ऐसा करने से भाई और बहन के आपसी रिश्ते मजबूत होते हैं। भाई के द्वारा दिए गए उपहार को बिना किसी मतभेद के स्वीकार करना चाहिए। उपहार का निरादर बिलकुल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तिलक करते समय दिशा का ध्यान करना बहुत जरूरी है। तिलक करते वक्त भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम की दिशा में होना चाहिए। वहीं बहनें पूर्व या उत्तर पूर्व की दिशा में मुख करके बैठें।