मरने के बाद दोबारा जन्म कितने दिन में: हिंदू धर्म में मानव शरीर को नश्वर बताया गया है, लेकिन इसमें बसी आत्मा कभी नष्ट नहीं होती. हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद व्यक्ति के शरीर को जलाया जाता है, लेकिन अब सवाल उठता है कि मृत व्यक्ति की आत्मा कहां जाती है? गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा एक लंबी यात्रा पर निकलती है. मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक की ओर जाती है, जहां उसे यमराज के सामने पेश किया जाता है.
गरुड़ पुराण में कहा गया कि आत्मा को यमलोक तक पहुंचने के लिए लगभग 86 हजार योजन (यानी लाखों किलोमीटर) की दूरी तय करनी पड़ती है. इस यात्रा में आत्मा अकेली नहीं होती, बल्कि यमदूत उसे अपने साथ ले जाते हैं. अगर व्यक्ति ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं, हमेशा धर्म का पालन किया तो उसकी आत्मा यमलोक तक यात्रा करती है. इस दौरान, उसे कोई तकलीफ नहीं होती, और वह सीधे यमराज के दरबार में पहुंच जाती है.यमलोक पहुंचने के बाद आत्मा का न्याय होता है. यमराज आत्मा के जीवन भर के कर्मों का लेखा-जोखा देखते हैं. यहां पर ये तय किया जाता है कि आत्मा को स्वर्ग मिलेगा या नरक.
गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर आत्मा को न तो स्वर्ग मिला, न ही मोक्ष, तो उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है. पुनर्जन्म आत्मा के कर्मों के अनुसार होता है, अगर किसी ने बहुत अच्छे कर्म किए हैं, तो वह अच्छे कुल में जन्म लेता है. लेकिन अगर उसने बुरे कर्म किए हैं, तो उसे जानवर, कीट-पतंगा, या किसी दयनीय स्थिति में जन्म लेना पड़ सकता है.पुराणों में कहा गया है कि मृत्यु के तीसरे दिन से लेकर 40वें दिन के बीच आत्मा को नया जन्म मिल सकता है. इसी वजह से हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद तीसरे दिन कर्मकांड, 10वें दिन श्राद्ध, और 13वें दिन तेरहवीं का आयोजन किया जाता है. यह आत्मा की शांति के लिए किया जाता है, ताकि वह अच्छे स्थान पर जाए.