केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हो गई थी क्योंकि यहां की विधायक शैलारानी रावत का निधन हो गया था। रावत का निधन इस साल जुलाई में हुआ था, जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव की जरूरत पड़ी। उनका निधन इस क्षेत्र के लिए एक गहरा शोक था, और अब उनकी जगह पर चुनाव हो रहे हैं।
केदारनाथ सीट पर 90,000 से ज्यादा मतदाता हैं, जो इस उपचुनाव में अपने मत का प्रयोग करेंगे। यह सीट उत्तराखंड की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट मानी जाती है, और यहां के लोग इस चुनाव को लेकर उत्साहित हैं।
घाटी में मतदान के दौरान जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। वोटरों की लंबी कतारें और शांतिपूर्वक मतदान की तस्वीरें सामने आई हैं। लोग अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए सुबह से ही मतदान केंद्रों पर पहुंचे। यह उपचुनाव उत्तराखंड की राजनीति में अहम स्थान रखता है, जिससे लोग इस चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।
इस उपचुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है। भाजपा ने गोपेश्वर निवासी और पूर्व विधायक के परिवार के सदस्य मोहन सिंह रावत को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर अखिलेश रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इन दोनों के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है, और भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस सीट पर जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
केदारनाथ क्षेत्र की राजनीति में देवभूमि की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान अहम है। यहां के लोग धार्मिक पर्यटन और विकास को लेकर मुख्य मुद्दों पर मतदान कर रहे हैं। इस सीट का परिणाम न केवल स्थानीय विकास बल्कि उत्तराखंड की राजनीति में भी बड़ा असर डालेगा