इन महिलाओं की भक्ति और शक्ति ने संतों को भी कर दिया स्तब्ध : महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं , माँ पत्नी बेटी और बहन के रूप में रिश्तों को सहेजती और मजबूत बनाती हैं। लेकिन क्या हो जब वो सब कुछ त्याग कर एकाकी हो जाएँ ? आप सोच रहे होंगे हम ये किसकी बात कर रहे हैं तो आइये आपको कुम्भ की बात बताते हैं जहाँ देश-विदेश से आए अब तक करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगातर खुद को तृप्त किया तो कुछ लोगों को महाकुंभ में पावन स्नान के बाद प्रभु की भक्ति की ओर ऐसा रूझान बढ़ा कि उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागने का फैसला लिया.हैरानी वाली बात ये है कि ज्यादातर महिलाएं हैं, जिन्होंने संन्यास की दीक्षा ली है।
7 हजार महिलाओं ने छोड़ा सांसारिक जीवन
महाकुंभ के दौरान अभी तक 7 हजार से अधिक महिलाओं ने संन्यास की दीक्षा ली है. इस बात की पुष्टि यूपी सरकार ने एक बयान में की है. एक एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी सरकार ने एक बयान में कहा है कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए चल रहे महाकुंभ के दौरान विभिन्न अखाड़ों में 7 हजार से अधिक महिलाओं ने संन्यास की दीक्षा ली है. महिलाओं का इतनी बड़ी संख्या में संन्यास की दीक्षा लेना हैरान करता है।
आधिकारिक बयान में उन अखाड़ों के बारे में भी बताया है जहां इन महिलाओं ने सन्यास की दीक्षा ली. बयान के अनुसार, जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरि और वैष्णव संतों के धर्माचार्यों के नेतृत्व में सनातन की रक्षा के लिए शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या अधिक थी. सभी प्रमुख अखाड़ों में 7,000 से अधिक महिलाओं ने गुरु दीक्षा ली और सनातन की सेवा करने का संकल्प लिया।