ब्रह्मांड की मौत का टाइमटेबल? वैज्ञानिक बोले- यह ठंडा होकर नहीं मरेगा, सिकुड़ कर खत्म होगा! : क्या ब्रह्मांड अनंत काल तक फैलता रहेगा, या किसी दिन खुद में समा जाएगा? यह सवाल सदियों से वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को परेशान करता रहा है. अब इस सवाल का जवाब मिल गया है, और वह भी एक निश्चित टाइमलाइन के साथ. नई रिसर्च बताती है कि ब्रह्मांड का अंत ‘Big Crunch’ यानी महा-संकुचन में होगा. और इसकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. यह स्टडी कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, शंघाई जिओ टोंग यूनिवर्सिटी और कई अन्य संस्थानों के भौतिक वैज्ञानिकों ने की है. इसके मुताबिक, हमारा ब्रह्मांड अब से लगभग 7 अरब साल बाद फैलना बंद कर देगा और धीरे-धीरे सिकुड़ने लगेगा. फिर करीब 33.3 अरब साल में, यह पूरी तरह से एक बिंदु में समा जाएगा।
यह दावा ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय तत्व ‘डार्क एनर्जी’ पर आधारित है. लंबे समय से माना जाता रहा है कि डार्क एनर्जी एक स्थिर शक्ति है, जो ब्रह्मांड को लगातार फैलने में मदद करती है. लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह शक्ति स्थिर नहीं बल्कि डायनामिक है. समय के साथ इसकी दिशा उलट सकती है।
‘रबर बैंड’ की तरह सिमटेगा ब्रह्मांड
रिसर्चर्स ने एक नई थ्योरी पेश की है जिसमें डार्क एनर्जी का व्यवहार एक अल्ट्रा लाइट पार्टिकल (जैसे एक्सिऑन) और एक नेगेटिव कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टैंट के मिश्रण जैसा बताया गया है. इसे ऐसे समझिए कि ब्रह्मांड एक विशाल रबर बैंड की तरह है. शुरू में यह फैलता है, लेकिन एक समय के बाद रबर बैंड की ताकत इसे वापस खींचने लगती है. यही होगा हमारे ब्रह्मांड के साथ।
7 अरब साल बाद होगा टर्निंग पॉइंट
शोधकर्ताओं के अनुसार, वर्तमान समय में ब्रह्मांड 13.8 अरब साल पुराना है. यह अब भी फैल रहा है, लेकिन 7 अरब साल बाद यह विस्तार अपने चरम पर पहुंच जाएगा. तब यह आज की तुलना में करीब 69% बड़ा हो चुका होगा. इसके बाद ब्रह्मांड का आकार सिकुड़ने लगेगा और अंततः सब कुछ एक बिंदु में सिमट जाएगा।
ये भविष्यवाणी क्यों मायने रखती है?
भले ही यह घटना 20 अरब साल बाद घटेगी, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए यह स्टडी एक मील का पत्थर है. यह पहली बार है जब किसी शोध ने ब्रह्मांड के अंत के लिए एक टेस्टेबल मॉडल पेश किया है और वो भी डेटा-आधारित…. इस स्टडी में डार्क एनर्जी सर्वे (DES) और डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट (DESI) जैसी अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं से मिले डेटा का उपयोग किया गया है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह भी स्वीकार किया है कि इस मॉडल में अभी बहुत अनिश्चितता है. नेगेटिव कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टैंट अब भी एक विवादास्पद अवधारणा है और इस दिशा में और सटीक डेटा की जरूरत है।