भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं बेलपत्र – जानें रहस्य: महाशिवरात्रि भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन महादेव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से सभी दुखों का नाश होता है और मन से भय समाप्त हो जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह पर्व शिव और पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक है, जिससे इसका महत्व सुहागिन महिलाओं के लिए और भी बढ़ जाता है. कहा जाता है कि इस दिन शिव-पार्वती की आराधना करने से वैवाहिक जीवन सुखद और रिश्ते मधुर बने रहते हैं.
महाशिवरात्रि के अवसर पर योग्य वर की प्राप्ति के लिए कन्याएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी. खास बात यह है कि इस दिन श्रवण नक्षत्र और परिध योग का संयोग बन रहा है. मान्यता है कि इस योग में भोलेनाथ को बेलपत्र और जल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को जल और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा क्यों है? आइए, इसके पीछे का रहस्य जानते हैं.
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
क्यों चढ़ाया जाता है जल और बेलपत्र?
महाशिवरात्रि की पूजा में शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करने की परंपरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब कालकूट नामक विष निकला, तो उसकी तीव्रता से देवता और समस्त जीव-जंतु व्याकुल हो उठे. संपूर्ण सृष्टि की रक्षा के लिए सभी देवता और असुर भगवान शिव की शरण में गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की.भगवान शिव ने करुणा भाव में आकर इस विष को अपनी हथेली पर रखकर ग्रहण कर लिया और संसार को इससे बचाने के लिए इसे अपने कंठ में ही रोक लि. इसी कारण उनका गला नीला पड़ गया और वे “नीलकंठ” कहलाए.
विष के प्रभाव से महादेव के मस्तिष्क में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हो गई. इसे शांत करने के लिए देवताओं और भक्तों ने उनके ऊपर जल अर्पित करना प्रारंभ किया. साथ ही, बेलपत्र की शीतल प्रकृति के कारण उसे भी शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. तभी से जल और बेलपत्र अर्पण को भगवान शिव की पूजा का अभिन्न अंग माना जाता है.मान्यता है कि यदि श्रद्धा और सच्चे प्रेम से भोलेनाथ को जल और बेलपत्र चढ़ाया जाए, तो व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और सभी कष्टों का अंत होता है.