चारधाम यात्रा में क्यों श्रृद्धालुओं की इतनी मौतें : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा हाई अल्टीट्यूड पर ही ज्यादा होती है, लिहाजा यात्रा में आये बुजुर्ग यात्रियों के सेहत पर खतरा भी ज्यादा होता है. बीते कुछ ही दिनों में अब तक कई श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है जिसमें ऊंचाई पर यात्रा एक बड़ी वजह है जो बुजुर्गों के लिए अनुकूल नहीं कही जा सकती है। इसकी वजह हाईअल्टीट्यूड भी है और अत्यधिक ठंड भी. केदारनाथ जैसे धाम समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां ऑक्सीजन की कमी, ठंडा मौसम और कठिन ट्रैकिंग मार्ग स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण हैं. यही वजह है कि केदारनाथ में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज हुई हैं.
पहाड़ों में मौसम कभी भी बदल सकता है, जिससे ठंड, बारिश या बर्फबारी के कारण स्वास्थ्य बिगड़ने की घटनाएं बढ़ जाती हैं.स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकांश मौतें दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप, सांस की तकलीफ, और ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई हैं.
उत्तराखंड के चारों धाम ऊंचाई वाली जगहों पर ही हैं. सभी पहाड़ों की ऊंचाई पर हैं, उनमें मौसम भी ठंडा और बर्फीला रहता है, चाहे यमुनोत्री हो या फिर बद्रीनाथ. वहां गर्मी के मौसम में भी इर्द गिर्द के पहाड़ों पर बर्फ ढंकी नजर आती है. लेकिन ऊंचाई वाली जगहें कैसे हृदय स्वास्थ्य पर असर डालती हैं.अधिक ऊंचाई पर रहना अगर उन व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होता है, जिनका हृदय स्वास्थ्य अच्छा होता है. लेकिन इन स्थानों की यात्रा उन लोगों के लिए चिंता का कारण हो सकती है जो मौजूदा तौर पर हृदय जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हों. चार धाम के दर्शन के लिए 4000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई तक की चढ़ाई करनी होती है.
इसमें कहीं ज्यादा ऊंचाई वाली जगहें होती हैं तो कहीं ज्यादा ऊंचाई वाली जगहें. इसलिए ये यात्रा मुश्किल मानी जाती है.चार धाम यात्रा गढ़वाल हिमालय में ऊंचाई पर होती है, इसलिए इसे उच्च ऊंचाई वाली यात्रा कहा जाता है. चार धाम यात्रा के चार तीर्थस्थल ऊंचाइयों पर हैं. भारतीय सेना के हाई अल्टीट्यूड वाले पैरामीटर्स के हिसाब से भी ये सारी जगहें हाई अल्टीट्यूड एरिया हैं.
- यमुनोत्री: 3,291 मीटर
- गंगोत्री: 3,415 मीटर
- केदारनाथ: 3,553 मीटर
- बद्रीनाथ: 3,300 मीटर
- केदारनाथ: 11,700 फीट
- गंगोत्री: 10,200 फीट