पत्नी के लिए मर्द खाते हैं लाठियां:दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां आज भी जनजातियां रह रही हैं जो अपनी अजीबोगरीब परंपरा की वजह से चर्चा में रहती हैं. ये परंपराएं भले ही दुनिया को अजीब लगें, पर उस जनजाति के लोग उन्हें आज तक मानते आ रहे हैं और उसी के अनुसार आचरण करते हैं. अफ्रीका में भी ऐसी कई जनजातियां आज भी रहती हैं जिनकी मान्यताएं हैरान करने वाली हैं. ऐसी ही ट्राइब है फुलानी जिसमें पत्नी हासिल करने के लिए मर्दों को दर्द झेलना पड़ता है।
अविवाहित मर्दों की होती है पिटाई
एक रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया में फुलानी नाम की एक जनजाति है जो पश्चिमी अफ्रीका के कई देशों में पाई जाती है. इस जनजाति में शारो नाम का एक उत्सव होता है जिसमें पुरुषों को मारा जाता है. वो भी सबके सामने. इस उत्सव में तय होता कि कौन से पुरुष को अपने मन मुताबिक पत्नी मिलेगी. यहां पुरुषों का मार खाना उनके लिए गर्व और सम्मान की बात समझी जाती है।
इस उत्सव में अविवाहित पुरुष जमा होते हैं और फिर बड़े बुजुर्ग लकड़ी के डंडे से उनकी पिटाई करते हैं. इस बीच अन्य लोग और लड़कों के परिवार वाले उन्हें दर्शकों की तरह देखते हैं. परिवार वाले ये मनाते हैं कि लड़का मार खाने में असमर्थ ना रह जाए नहीं तो उसकी वजह से परिवार की नाक कट जाएगी. अगर लड़का दर्द के कारण मार नहीं झेल पाता तो उसे कमजोर माना जाता है और फिर लड़की के साथ-साथ उसके परिवार वाले उसे उपयुक्त वर नहीं मानते हैं।
मार खाने के पीछे कारण ये है कि वो जितना दर्द सहेंगे, उतना ही होने वाली पत्नी के लिए प्यार बढ़ेगा. माना जाता है कि दर्द झेलकर मर्द दिखाते हैं कि वो उस लड़की से बेहद प्यार करते हैं उसके लिए किसी भी हद तक का दर्द झेल सकते हैं. ऐसा सिर्फ एक लड़के के साथ नहीं, एक साथ कई लड़कों के साथ होता है. कई बार ये कंपटीशन किसी एक लड़की के लिए होता है. एक लड़की को पाने के लिए कई प्रतियोगी जुटते हैं और जो जीतता है, वो लड़की का दूल्हा बनता है, या फिर जीतने वाला लड़का अपने मन मुताबिक लड़की चुन सकता है. उनके शरीर पर जो घाव रह जाता है, उसे उनकी बहादुरी का प्रतीक माना जाता है. अब धीरे-धीरे ये मान्यता खत्म होती जा रही है. ये एक मुस्लिम जनजाति है और इनका मानना है कि इस्लाम में ऐसा करना हराम है।