उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और मानसून के प्रभाव के कारण पूंजीगत मद में बजट खर्च की गति में कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में आवंटित बजट का केवल 3140 करोड़ रुपये ही खर्च हो सका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है। अब सरकार पर वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में 11 हजार करोड़ से अधिक खर्च करने का दबाव है।
चुनावों के कारण लागू हुई आचार संहिता ने विकास कार्यों की गति को प्रभावित किया। अप्रैल से जून के बीच चुनावी प्रक्रिया के चलते विभिन्न विभागों में कार्य धीमा पड़ गया। इसके बाद वर्षाकाल ने निर्माण कार्यों में और रुकावट डाली। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसी अवधि में 4800 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन इस बार यह आंकड़ा काफी कम रह गया।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में विकास योजनाओं और परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए कुल 14,857 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसमें से 4479 करोड़ रुपये विभागों को खर्च के लिए आवंटित किए जा चुके हैं। लेकिन, इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में केवल 3140 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके हैं, जो पिछली कई वर्षों की तुलना में कम है।
ग्राम्य विकास विभाग को 1632 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया, जिसमें से 613 करोड़ रुपये आवंटित हुए, लेकिन खर्च केवल 565 करोड़ रुपये हो सका। इसी तरह सिंचाई विभाग के लिए 1380 करोड़ रुपये का बजट रखा गया, जिसमें से 547 करोड़ रुपये आवंटित हुए, जबकि खर्च 484 करोड़ रुपये ही रहा।
शहरी विकास, आवास और विद्यालयी शिक्षा विभाग भी बजट खर्च में पीछे रहे। शहरी विकास के लिए 774 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, जिसमें से केवल 171 करोड़ रुपये खर्च हो सके। आवास विभाग के लिए 461 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन खर्च केवल 128 करोड़ रुपये हुआ।
राज्य के वित्त अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे वर्तमान वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में बजट खर्च को तेज करें। यदि सरकार को अपनी विकास योजनाओं को पूरा करना है और क्षेत्रीय विकास को गति देनी है, तो विभागों को बेहतर प्रदर्शन करना होगा।
इस प्रकार, उत्तराखंड की सरकार को जल्द ही अपने खर्चों की गति बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि विकास कार्यों को समय पर पूरा किया जा सके और राज्य की प्रगति को सुनिश्चित किया जा सके।