शहरों के नाम में ‘पुर’, ‘आबाद’, ‘गढ़’ का रहस्य : रोज किसी न किसी शहर के नाम सुनते हैं। कम से कम उस जगह का नाम तो सुनते ही हैं जिस शहर में हम रहते हैं या फिर जो शहर हमारे रिहायशी इलाके से बहुत नजदीक होता है। खैर, आपने ध्यान दिया होगा कुछ जगहों के नाम के अंत में प्रयोग होने वाला प्रत्यय एक जैसा होता है। उदाहरण के लिए कानपुर, रायपुर, गोरखपुर, नागपुर, सहारनपुर, जयपुर, जनकपुर, उदयपुर आदि, इन नामों की खास बात ये है कि इनके नाम के अंत में ‘पुर’ लगा हुआ है। क्या आपने कभी सोचा है कि इन नामों में प्रयोग किया गया प्रत्यय ‘पुर’ का क्या अर्थ है। पुराने समय में जब किसी जगह का नामकरण होता था तो इसके कुछ नियम हुआ करते थे।
आपने देखा होगा ऐसे और भी कई शहर हैं जिनके नाम के अंत में कुछ खास प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे- हैदराबाद, अहमदाबाद, फैजाबाद में ‘आबाद’ प्रत्यय का प्रयोग होता है। एक और उदाहरण देखें तो अलीगढ़, आजमगढ़, रामगढ़ में ‘गढ़’ प्रत्यय का प्रयोग होता है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं कि इन शहरों के नाम में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रत्यय का क्या अर्थ है।
आखिर क्या हैं पुर का मतलब?
गोरखपुर, नागपुर, रायपुर, सहारनपुर, कानपुर जैसे तमाम अन्य भारतीय शहरों का नाम पुर के साथ जुड़ा हुआ है। असल में ‘पुर’ शब्द संबंध वेदों से है। हमारे सबसे पुराना वेद ऋग्वेद में पुर या पुरा का कई बार जिक्र किया गया है। ऋग्वेद में पुर शब्द उन जगहों के लिए इस्तेमाल होता था जो या तो कोई शहर थे या किला। अब सोचिए ये शब्द कितना पुराना है। ऋग्वेद लगभग 1500 ईसा पूर्व का ग्रंथ है। यानी की आज के करीब 3500 साल पुराना ग्रंथ। आगे चलकर हमारे देश के कई शहरों का नाम इसी के आधार पर पड़ा। प्राचीन काल में ऐसे कई शहर थे जिनके नाम में पुर लिखा होता था। उदाहरण के लिए महाभारत काल में हस्तिनापुर।
अब समय भले ही बीत गया हो लेकिन इस परंपरा का पालन आज भी हो रहा है। इसी कड़ी में आगे जब हम मध्यकालीन भारत में देखते हैं तो जब किसी राजा को कोई शहर बसाना होता था, तो अपने नाम के आगे अक्सर पुर लगा देते थे। जैसे राजस्थान के जयपुर को राजा जयसिंह ने बसाया था तो उसका जयपुर पड़ गया। तो अब तक आपको स्पष्ट हो गया होगा कि पुर शब्द इस्तेमाल कैसे शुरू हुआ और हमारे शहरों में कैसे आया। अब आइए ये जानते हैं कि शहरों के नाम के पीछे आबाद क्यों लगा होता है, जैसे- गाजियाबाद, इलाहाबाद, फर्रुखाबाद, हैदराबाद, मुरादाबाद आदि।
यहां तक पाकिस्तान में इस्लामाबाद और अफगानिस्तान में जलालाबाद भी है। असल में इन शहरों के नाम के पीछे जो आबाद प्रत्यय लगा हुआ है वो एक फारसी शब्द है। इस शब्द में ‘आब’ का मतलब पानी होता है। अगर पूरे आबाद शब्द का अर्थ देखा जाए तो एक ऐसी जगह जहां आस पास पानी मौजूद हो। अब ठीक ऐसे ही अलीगढ़, आजमगढ़, रामगढ़ में प्रयोग होने वाले प्रत्यय ‘गढ़’ का अर्थ है किला। चाहे भारतीय इतिहास में मुगल शासक हों या राजपूत हों, उन्होंने कई राज्यों में अपने किले स्थापित किए।
इसके जरिए वो न सिर्फ अपने रहने की जगह को एक पहचान देते थे बल्कि अपनी ताकत को दिखाने का भी ये एक जरिया मानते थे। पहले के समय में रहने लायक बहुत कम जगह हुआ करता था। ऐसे में जब कोई जगह खेती करने लायक होती थी, तो उस जगह का नाम रखते समय अंत में आबाद जोड़ा करते थे। मसलन मुरादाबाद शहर रामगंगा नदी के किनारे पड़ता है, इसलिए इसके नाम में आबाद लिखा गया है। गंगा नदी के किनारे बसे इलाहाबाद का नाम में भी इसी लिए आबाद प्रत्यय का इस्तेमाल होता था।